बच्चों में बेकाबू होता शुगर लेवल बना चिंता: SMS मेडिकल कॉलेज ने मांगी CGMS सुविधा, सरकार को भेजा प्रस्ताव

बच्चों में बेकाबू होता शुगर लेवल बना चिंता: SMS मेडिकल कॉलेज ने मांगी CGMS सुविधा, सरकार को भेजा प्रस्ताव

राजस्थान में छोटे बच्चों में टाइप-1 डायबिटीज के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं और चिंताजनक बात यह है कि इनमें से अधिकांश बच्चों का शुगर लेवल इंसुलिन देने के बावजूद भी कंट्रोल नहीं हो पा रहा। इस गंभीर स्थिति को देखते हुए एसएमएस मेडिकल कॉलेज के एंडोक्राइनोलॉजी विभाग ने सरकार को "कंटीन्यूअस ग्लूकोज मॉनिटरिंग सिस्टम" (CGMS) लागू करने का प्रस्ताव भेजा है।

विभागाध्यक्ष डॉ. संदीप माथुर ने बताया कि वर्तमान में विभाग में प्रतिदिन करीब 300 मरीज आ रहे हैं, जिनमें टाइप-1 डायबिटीज से पीड़ित बच्चों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। सबसे बड़ी चुनौती इन बच्चों में अनियंत्रित शुगर लेवल को संभालना है। उन्होंने कहा कि उच्च गुणवत्ता का इंसुलिन देने के बावजूद बच्चों में शुगर उतार-चढ़ाव बना रहता है, जिससे स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ता है।

डॉ. माथुर ने सुझाव दिया है कि CGMS प्रणाली को 'मधुहारी' योजना के अंतर्गत शुरू किया जाए। यह सिस्टम एक विशेष चिप के माध्यम से मरीज के शरीर में 24 घंटे शुगर लेवल की निगरानी करता है। इससे सात से पंद्रह दिनों तक की डिटेल रिपोर्ट मिलती है, जिससे डॉक्टर यह विश्लेषण कर सकते हैं कि दिन के किस समय मरीज का शुगर अधिक या कम हो रहा है। इससे दवा की मात्रा और डाइट को प्रभावी ढंग से तय किया जा सकता है।

उन्होंने यह भी बताया कि CGMS से न केवल बच्चों के स्वास्थ्य को बेहतर तरीके से संभाला जा सकेगा, बल्कि लंबे समय तक डायबिटीज से जुड़ी जटिलताओं को भी रोका जा सकेगा। विभाग ने सरकार से इस सुविधा को जल्द शुरू करने की अपील की है, ताकि टाइप-1 डायबिटीज से जूझ रहे बच्चों को राहत मिल सके।