काम ही सब कुछ नहीं: वर्कहोलिक्स डे पर जुंजाराम थोरी ने बताया वर्क-लाइफ बैलेंस का महत्व

वर्कहोलिक्स डे 2025 पर जुंजाराम थोरी ने काम और जीवन के बीच संतुलन की अहमियत बताई। उन्होंने युवाओं और प्रोफेशनल्स से जीवन को पूरी तरह जीने की अपील की।

काम ही सब कुछ नहीं: वर्कहोलिक्स डे पर जुंजाराम थोरी ने बताया वर्क-लाइफ बैलेंस का महत्व
काम ही सब कुछ नहीं: वर्कहोलिक्स डे पर जुंजाराम थोरी ने बताया वर्क-लाइफ बैलेंस का महत्व

जयपुर, 5 जुलाई 2025: आज नेशनल वर्कहोलिक्स डे मनाया जा रहा है, जो हर साल 5 जुलाई को उन लोगों को जागरूक करने के लिए मनाया जाता है जो अत्यधिक काम में डूबे रहते हैं — अक्सर अपनी सेहत, परिवार और शौकों की कीमत पर। इस अवसर पर राजस्थान के डिजिटल उद्यमी और मीडिया हस्ती जुंजाराम थोरी ने स्वस्थ वर्क-लाइफ बैलेंस बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर दिया।

जुंजाराम थोरी, Sangri Today के संस्थापक एवं संपादक और Sangri Internet Pvt. Ltd. के सीईओ हैं। डिजिटल पत्रकारिता, पीआर और मीडिया सॉल्यूशन्स के क्षेत्र में उनके योगदान को व्यापक रूप से सराहा जाता है।

वर्कहोलिज़्म पर बोलते हुए उन्होंने कहा:
“जब हम बिना रुके लगातार काम करते हैं, तो हम जीवन की असली खुशियों से चूक जाते हैं – परिवार, स्वास्थ्य और अपने शौक। हमें यह जानना चाहिए कि कब रुकना है।”

थोरी ने अपने करियर की शुरुआत किशोरावस्था में डिजिटल मीडिया से की थी। उन्होंने पत्रकारिता, फैक्ट-चेकिंग और सामाजिक जागरूकता अभियानों में उल्लेखनीय कार्य किया है। कोविड-19 महामारी के दौरान उन्होंने Sangri Fact-Check Portal लॉन्च किया, जिसकी सराहना करते हुए उन्हें Real Super Heroes 2020 Award से नवाजा गया।

उन्होंने आगे कहा:
“वर्कहोलिक होना हमेशा नकारात्मक नहीं है – यह समर्पण और जुनून दर्शाता है। लेकिन जब यह थकावट, तनाव या रिश्तों को प्रभावित करने लगे, तो हमें रुककर सोचना चाहिए।”

थोरी के अनुसार वर्क-लाइफ बैलेंस से न केवल उत्पादकता बढ़ती है, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य भी बेहतर रहता है। उनके सुझाव:

  • काम और निजी जीवन के बीच स्पष्ट सीमाएं तय करें।

  • नियमित अवकाश और ब्रेक लें।

  • खेल, कला या यात्रा जैसे शौक अपनाएं।

वर्कहोलिक्स डे पर उन्होंने युवाओं और पेशेवरों से अपील की – “रोज़ एक बार खुद से पूछें – क्या मैं जी रहा हूं या सिर्फ काम कर रहा हूं?”

उनका संदेश साफ है – काम ज़रूरी है, लेकिन ज़िंदगी उससे कहीं ज़्यादा मायने रखती है।