टेस्ला कल भारत में करेगी एंट्री: एक दौर में बर्बादी के कगार पर थी कंपनी, आज EV मार्केट की बादशाह; मस्क खुद नहीं थे फाउंडर

टेस्ला कल भारत में करेगी एंट्री: एक दौर में बर्बादी के कगार पर थी कंपनी, आज EV मार्केट की बादशाह; मस्क खुद नहीं थे फाउंडर

मुंबई, 14 जुलाई। दुनिया की सबसे बड़ी इलेक्ट्रिक व्हीकल कंपनी टेस्ला अब भारत में कदम रखने जा रही है। 15 जुलाई को मुंबई में इसका पहला शोरूम लॉन्च होगा। लेकिन टेस्ला की यह ग्लोबल पहचान और सफलता एक कठिन संघर्ष और विवादों की लंबी कहानी से होकर निकली है।

बहुत कम लोग जानते हैं कि टेस्ला के फाउंडर एलन मस्क नहीं थे। 2003 में इसकी नींव मार्टिन एबरहार्ड और मार्क टारपेनिंग ने रखी थी। मस्क ने 2004 में 6.5 मिलियन डॉलर निवेश कर कंपनी के चेयरमैन का पद संभाला और धीरे-धीरे कंपनी के चेहरे बन गए। बाद में उन्होंने संस्थापक तक का दर्जा हासिल कर लिया, जिससे असली फाउंडर्स को बाहर कर दिया गया।

2008 में जब वैश्विक आर्थिक मंदी आई, तब टेस्ला पूरी तरह डूबने के कगार पर थी। कंपनी के पास कर्मचारियों को सैलरी देने के पैसे नहीं थे। ग्राहकों से लिए एडवांस तक खर्च हो चुके थे। मस्क ने निजी उधार लेकर कंपनी बचाने की कोशिश की। उनकी पार्टनर तालुलाह रिले के मुताबिक, उस दौर में मस्क रातों में चिल्लाते, खुद से बात करते और तनाव के चरम पर थे।

लेकिन आज वही टेस्ला 700 बिलियन डॉलर से ज्यादा मार्केट कैप वाली कंपनी है और अब भारत जैसे बड़े बाजार में एंट्री करने जा रही है। यह सफर न सिर्फ मस्क की जिद और जुनून का, बल्कि जोखिम से भरे उद्यमशीलता के साहस का प्रतीक बन चुका है।