राजस्थान से लेकर हरियाणा तक सतीश पूनियां के परिश्रम से संतुष्ट दिख रहा भाजपा केंद्रीय नेतृत्व

Jul 15, 2024 - 20:51
Jul 15, 2024 - 20:52
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राजस्थान से लेकर हरियाणा तक सतीश पूनियां के परिश्रम से संतुष्ट दिख रहा भाजपा केंद्रीय नेतृत्व
राजस्थान से लेकर हरियाणा तक सतीश पूनियां के परिश्रम से संतुष्ट दिख रहा भाजपा केंद्रीय नेतृत्व


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भारतीय जनता पार्टी एक कैलकुलेटिव पार्टी है ।इसके नेता अपेक्षाओं को व्यवस्थाओं से जोड़ने में तो बड़े माहिर हैं ही, उनके बारे में यह आम मान्यता भी है कि यदि उन्हें अपनी कमजोरी का पता चल जाए तो वे उसे सुधारने और टूट-फूट की मरम्मत करने में वे कतई देर नहीं लगाते। यूं समझिए कि इस मामले में उन्हें महारत हासिल है। तमाम चुनौतियों के बाबजूद संसदीय चुनाव में हरियाणा में 5 सीट हारने के बाद भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने इस नुकसान की पूर्ति से पहले नुकसान के कारणों का पता लगाने का काम पूरा कर लिया है। इसके साथ ही मेंटेनेंस मतलब मरम्मत का काम शुरू कर दिया गया है। नए अध्यक्ष पंडित मोहनलाल बड़ौली की नियुक्ति भी इसका एक उदाहरण है।

भारतीय जनता पार्टी ने हरियाणा के मामले में क्षतिपूर्ति,चेक एंड बैलेंस के फार्मूले के दृष्टिगत भारतीय जनता पार्टी की राजस्थान इकाई के पूर्व अध्यक्ष सतीश पूनिया को जिस तरह से हरियाणा भाजपा का प्रभारी नियुक्त किया है उसके अच्छे रिजल्ट सामने आ सकते हैं, क्योंकि राजस्थान में सतीश पूनिया के साढ़े तीन साल के प्रदेशाध्यक्ष के कार्यकाल को भाजपा केंद्रीय नेतृत्व ने देखा है कि किस तरह 
उनके नेतृत्व पार्टी कार्यकर्ताओं  कोरोना में करोड़ों जरूरतमंदों की सेवा की, वहीं जनहित के तमाम मुद्दों को सहित किसानों, युवाओं व महिला सुरक्षा के मुद्दों पर अनेक बार तत्कालीन कांग्रेस सरकार के खिलाफ आंदोलन किया, इस दौरान कई बार सतीश पूनियां आंदोलनों का नेतृत्व करते हुए चोटिल भी हुये, पार्टी को पूरे प्रदेश में बूथ, पन्ना इकाइयों तक मजबूत किया और फिर पार्टी सत्तारूढ़ हुई, संघर्ष का नतीजा सत्ता तक पहुंचा, इसी तरह हरियाणा में भी भाजपा को सकारात्मक नतीजों की उम्मीद है जिसमें सतीश पूनिया की कुशल संग़ठन कार्यशैली पर सबकी नजरें बनी हुई हैं।

हरियाणा के राजस्थान के सीमावर्ती जिलों के लगभग 20 से अधिक विधानसभा क्षेत्रों में पूनिया का जनसंपर्क निर्णायक साबित हो सकता है। खास तौर पर जाट-ओबीसी मतदाताओं में, जिसकी वजह है कि राजस्थान, हरियाणा, पश्चिमी उत्तरप्रदेश, उत्तरी गुजरात के किसान, जाट, ओबीसी समुदाय में सतीश पूनिया की अच्छी अपील मानी जाती है।

 जाट मतदाताओं का समर्थन भाजपा के लिए चुनौती पूर्ण काम है और जाट मतदाताओं को भाजपा के नजदीक लाने का  काम कोई जाट नेता ही और वह भी कोई मजबूत जाट नेता ही कर सकता है ।यही बात समझ कर सतीश पूनिया को हरियाणा में नई जिम्मेदारी दी गई है। जानकार यह मानकर चल रहे हैं कि पूनिया ने अब तक जहां-जहां भी कार्यक्रमों में हिस्सा लिया है वहां-वहां उनके विचार व्यवहार प्रभाव और कार्य क्षमता ही नहीं उनके व्यक्तित्व की भी चर्चा हुई है। उन्होंने हरियाणा के लोगों की तासीर को समझते हुए जो व्यवहार किया है वह काबिले तारीफ है।आने वाले विधानसभा चुनाव में पूनिया हरियाणा के सिरसा, हिसार, फतेहाबाद, भिवानी, चरखी दादरी आदि जिलों में भाजपा के लिए वह काम कर सकते हैं जो उसका हरियाणा का कोई और जाट नेता नहीं कर सकता । तमाम चुनातियों के बाद भी हरियाणा में 10 में से 5 लोकसभा सीटें भाजपा ने जीती, जिनको लेकर सर्वे एजेंसियां 1-2 सीट ही दे रही थी, फिर भी भाजपा ने अच्छा प्रदर्शन किया।

हाल के चुनाव में हरियाणा के भाजपा के जाट नेताओं की स्थिति प्रभावहीन नजर आने लगी है ।इसका कारण कहीं ना कहीं उनकी कार्यशैली भी रही है। विधानसभा चुनाव के समय भारतीय जनता पार्टी हरियाणा में विधानसभा चुनाव में ‌अपने प्रभारी के कारण कुछ जाट मतदाताओं को अपने पक्ष में करने में सफल रही तो यही एक फैक्टर उसकी हैट्रिक बनाने में कारगर और निर्णायक आधार साबित हो सकता है। राजस्थान जैसे प्रदेश में पार्टी के अध्यक्ष और मुख्यमंत्री पद के दावेदार रहे सतीश पूनिया हरियाणा के जाटों के लिए भावनात्मक कारणों से बहुत महत्वपूर्ण है। यही बात भाजपा के काम आ सकती है। हरियाणा की राजनीति को समझने वाले लोग इस बात को एक संभावना के रूप में देख रहे हैं कि हरियाणा में जहां मुख्यमंत्री पिछड़े वर्ग से संबंध रखने वाला है और पार्टी ने प्रदेश अध्यक्ष के रूप में मोहनलाल बडोली को आगे लाकर ब्राह्मणों को प्रतिनिधित्व देकर मास्टर स्ट्रोक खेल दिया है। उससे सतीश पूनिया का ‌जाटों को भाजपा के साथ जोड़ने का प्रयास इसलिए सफल हो सकता है कि अब धीरे-धीरे हरियाणा में भाजपा की स्थिति पहले की तुलना में ठीक और मजबूत  होती नजर आने वाली है। केंद्र में एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी की सरकार  बन जाने का लाभ भाजपा को हरियाणा में इसलिए भी हो सकता है कि यहां  मतदाता अमूमन विधानसभा के चुनाव में केंद्र में सत्ता पर काबिज़ दल की अनदेखी नहीं करते। सतीश पूनिया हरियाणा में राजनीति के अपने अनुभव को दाव पर लगाकर जिस तरह से मेहनत कर रहे हैं इसका लाभ भारतीय जनता पार्टी को मिलता दिख रहा है। हरियाणा में एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी तो इसमें प्रभारी के तौर पर सतीश पूनिया के योगदान की चर्चा जरूर होगी, जिससे उनका भाजपा की राष्ट्रीय और राजस्थान की राजनीति में और बड़ा कद पार्टी कर सकती है।

खास बात यह है कि सतीश पूनिया उन क्षेत्रों में कारगर और प्रभावी स्थिति में है जहां हरियाणा के कांग्रेस के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा संघर्ष करते नजर आ रहे हैं।

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