जल जीवन मिशन में 1000 करोड़ का घोटाला: पुलिस ने गलतफहमी मानकर केस बंद किया, ईडी-सीबीआई जांच में जुटी

जयपुर में जल जीवन मिशन (जेजेएम) के तहत हुए 1000 करोड़ रुपये के घोटाले में ईडी, सीबीआई और एसीबी जैसी एजेंसियां सक्रिय हैं, जबकि जयपुर पुलिस ने इस मामले में अपनी जांच "गलतफहमी" पर आधारित मानकर बंद कर दी। पीएचईडी विभाग की ओर से दर्ज एफआईआर में फर्जी कार्य पूर्णता प्रमाण पत्र (वर्क कंप्लीशन सर्टिफिकेट) जमा करने का आरोप था। लेकिन पुलिस ने इसे गलतफहमी बताकर एफआर लगा दी, जो अब कोर्ट में पेश होने वाली है।
फर्जी कार्य पूर्णता प्रमाण पत्र का मामला
2023 में पीएचईडी की जांच में सामने आया था कि गणपति ट्यूबवेल कंपनी, शाहपुरा के महेश मित्तल ने बिना काम किए ही फर्जी प्रमाण पत्र विभाग में पेश किया। इसके बाद विभाग के उप सचिव के निर्देश पर बजाज नगर थाने में अतिरिक्त मुख्य अभियंता अजय सिंह राठौड़ ने एफआईआर दर्ज कराई। हालांकि, पुलिस ने एक साल में दो बार जांच करने के बाद इसे गलतफहमी का मामला बताते हुए दिसंबर 2024 में एफआर लगा दी।
सीबीआई और एसीबी की सक्रियता
जयपुर पुलिस की निष्क्रियता के बावजूद अन्य एजेंसियां मामले की जांच में जुटी हैं। एफआईआर दर्ज होने के आठ माह बाद, सीबीआई की दिल्ली टीम ने इस मामले में अलग एफआईआर दर्ज की। इसके बाद अक्टूबर 2024 में एसीबी राजस्थान ने भी मामला दर्ज किया। इस जांच में विभागीय अधिकारियों के साथ पूर्व मंत्री महेश जोशी का भी नाम आरोपी के रूप में शामिल है।
ईडी की मनी लॉन्ड्रिंग जांच
अगस्त 2023 में एसीबी ने सबसे पहले रिश्वत लेते हुए अधिकारियों और ठेकेदारों को रंगे हाथ पकड़ा। इसके बाद नवंबर 2023 में ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों में छापेमारी शुरू की। ईडी और सीबीआई फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र के आधार पर ठेके लेने की जांच कर रही हैं, जबकि बजाज नगर थाने की एफआईआर फर्जी कार्य पूर्णता प्रमाण पत्र तक सीमित रही।
पुलिस की कार्रवाई पर सवाल
इस मामले में बजाज नगर थाना पुलिस की जांच सवालों के घेरे में है। पीएचईडी के मुख्य अभियंता अजय सिंह ने पुलिस कार्रवाई की जानकारी होने से इनकार किया। वहीं, थानाधिकारी ममता मीणा ने कहा कि परिवादी ही इस मामले में सही जानकारी दे सकता है।
अन्य एजेंसियों पर टिकी उम्मीदें
जेजेएम घोटाले में पुलिस की जांच भले ही बंद हो गई हो, लेकिन ईडी, सीबीआई और एसीबी की सक्रियता से बड़े खुलासों की उम्मीद है। इन एजेंसियों का ध्यान फर्जी दस्तावेजों और मनी लॉन्ड्रिंग जैसे गंभीर आरोपों की जांच पर केंद्रित है।
इस मामले में अभी न्यायालय में एफआर पेश होने और केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई के बाद ही घोटाले की पूरी तस्वीर सामने आएगी।