नर्सिंग स्टाफ की कमी से जूझ रहा उप जिला चिकित्सालय        44 पदों में से 10 नर्स,कैसे हो समय पर इलाज

Sep 18, 2023 - 15:20
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फुलेरा (राजकुमार देवाल ) नर्स को युही सिस्टर नहीं कहा जाता। खुद को चाहे कितना भी दर्द और कितनी भी मुश्किल क्यो न हो । अस्पताल में मरीजों की देखभाल करना उनकी प्राथमिकता होती है। यही कुछ कस्बे के उप जिला चिकित्सालय में हो रहा है। कई पद रिक्त होने के बावजूद नर्सिंग स्टाफ तमाम चुनौतियों के बीच अस्पताल को चला रहे है। अस्पताल प्रबंधन भी नर्सिंग स्टाफ की दिक्कतों को जानते हैं, लेकिन प्रशासनिक उदासीनता के आगे कोई नहीं बोलता। उप जिला अस्पताल में इस समय  50 बैड हैं जबकि 100 बेड  स्वीकृति है । इनके लिए सिर्फ 44  पद हैं। इन पदों में से भी 34 पद खाली पड़े हैं। तथा देखभाल की जिम्मेदारी इन नर्सिंग स्टाफ के कंधों पर ही हैं मौजूदा स्टाफ को भारी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। अस्पताल के कंधों पर नवजात बच्चों से लेकर गर्भवती महिलाओं की देखभाल करने की जिम्मेदारी भी इसी नर्सिंग स्टाफ पर है। ग़ौरतलब है की अस्पताल में कनिष्ठ विशेषज्ञ के 10 पदो मे से 6 पद खाली पडे है,चिकित्सा अधिकारी सात पदो मे से एक, नर्स श्रेणी प्रथम के छः मे से पाँच पद,नर्स श्रेणी द्धितीय के 38 पद मे से 29 पद कुल नर्सिंग के 44 पदों में से 34 पद खाली पड़े हुए हैं। फार्मासिस्ट के दो पदो मे से एक,सी.रेडियोग्राफर के एक पद मे से एक,सीनियर लैब टेक्नीशियन के एक पद मे से एक,लेब सहायक के दो मे से एक,डेंटल टेक्निशियन के एक पद मे से एक,वरिष्ठ सहायक के एक पद मे से एक,कनिष्ठ सहायक के दो पद मे से एक तथा वार्ड बॉय के दस पदो मे से नो पद रिक्त है । बावजूद मौजूदा स्टाफ ने कभी भी कोई शिकायत नहीं की। वह सुबह, दोपहर और रात को तीनों ही शिफ्ट में काम कर रही हैं। नर्सिंग स्टाफ का कहना है कि हर मरीज उम्मीदें लेकर अस्पतालों में इलाज के लिए आता है। कई बार वे हमारी समस्याओं को नहीं समझता। हमारा प्रयास रहता है कि हर मरीज को बेहतर देखभाल मिले।
स्टाफ की कमी का मुद्दा काफी समय से है। लेकिन आज तक स्टाफ की नियुक्ति नहीं हुई। बावजूद इसके हम अपना काम पूरी इमानदारी से कर रही हैं। लगातार मौसम बीमारियों का प्रकोप बढ़ता जा रहा है जिसके कारण मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है तथा रोजाना करीब 900 से 1000 मरीज इलाज के लिए आते हैं ऐसे में नर्सिंग स्टाफ की संख्या को बढ़ाने की जरूरत है। तभी नर्स पर काम का बोझ कम होगा और मरीजों की बेहतर देखभाल होगी। डॉक्टर को दिखाने के बाद हर मरीज को नर्स  से बेहतर देखभाल की उम्मीद होती है। नर्सिंग स्टाफ अस्पतालों की रीढ़ की हड्डी होता है। वार्ड से लेकर लेबर रूम तक में भर्ती मरीजों की देखभाल की जिम्मेदारी नर्सिंग स्टाफ पर ही होती ऐसे में नर्सिंग स्टाफ की कमी से जूझ रहे उप जिला चिकित्सालय में खाली पदों को भरना लाजमी है।

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