राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान बना देश का पहला प्लास्टिनेशन तकनीक केंद्र: अब छात्र बिना चीरफाड़ के समझ सकेंगे शरीर की संरचना

जयपुर स्थित राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान (NIA) ने आयुर्वेदिक शिक्षा के क्षेत्र में एक नई उपलब्धि दर्ज की है। संस्थान के एनाटॉमी विभाग ने देश में पहली बार सरकारी स्तर पर प्लास्टिनेशन तकनीक का उपयोग करते हुए दिमाग, फेफड़े जैसे मानव अंगों के नमूने तैयार किए हैं। यह तकनीक मेडिकल और आयुर्वेद के छात्रों को शरीर की आंतरिक संरचना को गहराई से समझने में मदद करेगी।
प्लास्टिनेशन तकनीक एक ऐसी वैज्ञानिक विधि है, जिसमें शरीर के अंगों से पानी और वसा को निकालकर विशेष प्रकार के प्लास्टिक से उन्हें सुरक्षित किया जाता है। इससे अंग वर्षों तक संरक्षित रहते हैं, न तो इनसे दुर्गंध आती है और न ही टूटने का खतरा होता है। ये नमूने अब म्यूजियम और लैब में लंबे समय तक रखे जा सकेंगे।
इस नवाचार से यूजी और पीजी आयुर्वेद छात्र न केवल शरीर की बनावट को प्रत्यक्ष रूप से देख सकेंगे, बल्कि चीरफाड़ की बारीकियों को भी आसानी से समझ पाएंगे। इससे आयुर्वेदिक शिक्षा को नया आयाम मिलेगा और छात्रों को प्रैक्टिकल समझ बेहतर हो सकेगी।
देश में यह पहली बार है जब आयुष सेक्टर में किसी सरकारी संस्थान ने यह उन्नत तकनीक अपनाई है। NIA का यह कदम भविष्य की चिकित्सा शिक्षा में क्रांतिकारी साबित हो सकता है।