दिव्यांगता को सोशल मीडिया के माध्यम से दी मात, तीन लाख फालोवर्स, महीने की एक लाख मजदूरी  

दिव्यांगता को सोशल मीडिया के माध्यम से दी मात, तीन लाख फालोवर्स, महीने की एक लाख मजदूरी  

---बाडमेर--दिव्यांग दिल्लू दादा उर्फ दिलीप अपनी कमजोरी को ताकत बनाकर आज सोशल मीडिया के जरिए अच्छी आमदनी कमा रहे हैं। यह उन युवाओं के लिए प्रेरणा है जो हमेशा बेरोजगारी को लेकर परेशान रहते हैं। चवा गांव निवासी दिलीप दिव्यांग होने के बावजूद तीन साल की मेहनत के बाद अब सोशल मीडिया पर दिल्लू दादा के रूप में युवाओं के बीच फेमस हो गए है। उन्होंने रोजमर्रा की जिंदगी में घटने वाली घटनाओं के कॉमेडी के वीडियो बनाए और उन्हें सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफार्म पर अपलोड किए। आम आदमी की जिंदगी से जुड़ी रोजाना की घटनाओं की कॉमेडी को लोगों ने पसंद किया और वर्तमान में उनके तीन लाख से अधिक फोलोअर्स है। इनके संघर्ष और सफलता की कहानी युवाओं को प्रेरित करने का काम कर रही है।
: ---बचपन में हडि्डयों की ग्रोथ कम होने से हो गए दिव्यांग---
दिलीप पारीक की आठ साल की उम्र में हडि्डयों की ग्रोथ कम हो गई और चलने में भी अक्षमता होने लगी। इसके बाद भी इनके माता पिता ने इनकी पढाई जारी रखी और इनके गांव चवा में रोजाना मां इन्हें उठाकर स्कूल पढ़ने के लिए छोड़कर जाती थी। चलने में अक्षम होने के कारण इनका चलना फिरना बंद हो गया। पढ़ाई के दौरान इनका शरीर पूरा दिव्यांग हो गया और शरीर का विकास रुक गया। इलाज का भी कोई फायदा नहीं हुआ। इसके बाद मुश्किल से इन्होंने 12वीं तक पढ़ाई की। इसके बाद इन्होंने गांव में ही किराणे की दुकान खोली लेकिन कोरोना काल के दौरान वह दुकान भी चौपट हो गई और रोजगार का कोई जरिया नहीं रहा। शरीर से लाचार होने के कारण दूसरा कोई काम करने में भी अक्षम रहे।
-- मित्र ने आइडिया दिया तो कॉमेडी वीडिया बनाए---
चवा गांव में ही उनके एक मित्र ने कोरोना काल के दौरान कॉमेडी वीडियो बनाने का आइडिया दिया और सहयोग किया। इसके बाद तीस वर्षीय दिलीप ने अलग-अलग सोशल मीडिया पर वीडियो बनाकर अपलोड करना शुरू किया। इसके लिए उन्होंने रोजमर्रा की जिंदगी में होने वाली परिवार, मित्र और पति-पत्नी में नोकझोंक को कॉमेडी के रूप में प्रस्तुत किया। इसके बाद छोटे मोटे कई प्लेटफार्म पर इन्होंने निशुल्क वीडियो भी बनाए। इन्होंने कॉमेडियन नींबाराम के साथ मिलकर भी कई वीडियो बनाए। इनके वीडियो को लोगों ने खूब पसंद किया। करीब तीन साल की मेहनत के बाद अब इनके फोलोअर्स तीन लाख से अधिक हुए है और महीने की कमाई भी करीब एक लाख के आसपास पहुंच जाती है।
 --लोगों ने दिव्यांगता का मजाक बनाया, इसी कमजोरी को भुनाया --
दिव्यांग दिल्लू दादा उर्फ दिलीप पारीक बताते हैं कि बचपन में लगी हड्डियों की बीमारी ने मेरी पूरी जिंदगी बदल दी। माता-पिता ने हमेशा सहयोग किया। मेरा शरीर पूरा विकसित नहीं हो पाया और मैं चलने में भी अक्षम हो गया। धीरे धीरे समय के साथ खुद को मजबूत करने की कोशिश की। लेकिन गांव में या कहीं भी जाता हूं तो लोग मेरी दिव्यांगता, चाल और कद काठी देखकर मजाक बनाते हैं।
मैनें इसी कमजोरी को भुनाने के लिए प्रयास शुरू किए और करीब तीन साल बाद अब मुझे इसी कद काठी की वजह से लोग मुझे पहचानने लगे और पसंद करने लगे हैं। उन्होंने बताया कि लगातार प्रयास और हमेशा सकारात्मक सोच रखकर कोई भी आदमी कुछ भी हासिल कर सकता है। यूट्यूब, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर दर्जनों कॉमेडी वीडियो अपलोड है और इन्हें लाखों की तादाद में फालोअर्स पसंद भी करते हैं। दिल्लू दादा कामेडियन के नाम से फेसबुक,यूं ट्यूब चैनल है।