80 सप्ताह का कार्यकाल: अपेक्षाओं पर खरे नहीं उतरे जयपुर ग्रामीण सांसद
सांभर/जयपुर ग्रामीण।
संवाददाता कालीचरण सैनी
जयपुर ग्रामीण लोकसभा क्षेत्र के सांसद राव राजेन्द्र सिंह का अब तक 80 सप्ताह से अधिक का कार्यकाल क्षेत्र की जनता की अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतर पाया है। शेष बचे लगभग पौने दो सौ सप्ताह में भी उनसे किसी बड़े सकारात्मक बदलाव की उम्मीद कमजोर नजर आ रही है। इसके पीछे कई कारण सामने आ रहे हैं, जिनकी चर्चा क्षेत्र में आम है।
तीन प्रमुख कारण, जिनसे बढ़ी निराशा
स्थानीय जानकारों के अनुसार पहली वजह सांसद की उम्र है, जो 68 वर्ष के आसपास पहुंच चुकी है। वह ऊर्जा और सक्रियता अब दिखाई नहीं देती, जो दो–चार दशक पहले उनके राजनीतिक जीवन की पहचान रही।
दूसरा कारण फुलेरा विधानसभा क्षेत्र, विशेषकर सांभर–नरैना इलाके से उनका अपेक्षित जुड़ाव नजर न आना है।
तीसरी और अहम वजह यह मानी जा रही है कि सिस्टम में उनकी पकड़ न तो प्रदेश स्तर पर प्रभावी दिख रही है और न ही राष्ट्रीय स्तर पर। इसका असर न केवल उनकी व्यक्तिगत छवि पर, बल्कि भाजपा की राजनीतिक साख पर भी पड़ता दिखाई दे रहा है। आगामी पंचायत एवं स्थानीय निकाय चुनावों में इसका असर सामने आने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।
जयपुर ग्रामीण क्षेत्र में सांसदों की उदासीनता का आरोप
राजस्थान प्रदेश युवक कांग्रेस के पूर्व महामंत्री दिनेश शर्मा का कहना है कि जब से यह क्षेत्र जयपुर ग्रामीण लोकसभा में शामिल हुआ है, तब से सांसदों की उदासीनता लगातार बनी हुई है। गत तीन बार से भाजपा के सांसद निर्वाचित हो रहे हैं, लेकिन क्षेत्र को एक सांसद से जो अपेक्षाएं थीं, वे पूरी नहीं हो सकीं।
उन्होंने 2014 से 2024 तक सांसद रहे राज्यवर्धन सिंह राठौड़ के कार्यकाल का उल्लेख करते हुए कहा कि वे एक एलीट पर्सनैलिटी के रूप में ही सीमित रहे। मतदाताओं और आम नागरिकों से उनका सीधा जुड़ाव उस स्तर का नहीं बन पाया, जिसकी अपेक्षा की जाती है। परिणामस्वरूप पूरा एक दशक क्षेत्रीय विकास के लिहाज से लगभग रिक्त रहा।
राव राजेन्द्र सिंह से थी अनुभव की उम्मीद
पिछले वर्ष 4 जून को राव राजेन्द्र सिंह के सांसद बनने पर यह उम्मीद जगी थी कि उनके राजनीतिक अनुभव का लाभ सांभर क्षेत्र को मिलेगा। सांभर समाज, जयपुर का एक प्रतिनिधिमंडल उनसे सांभर को जिला बनाए जाने की मांग को लेकर मिला, लेकिन इस दिशा में कोई ठोस पहल सामने नहीं आ सकी।
सांभर साल्ट और झील पर भी नहीं दिखी पहल
सांभर की आर्थिक जीवनरेखा मानी जाने वाली सांभर साल्ट लिमिटेड, जो कभी एक बड़ा आर्थिक डेस्टिनेशन रही है, आज उपेक्षा का शिकार बताई जा रही है। जिस सांभर झील के पानी से कंपनी नमक उत्पादन करती है, वहां से पानी की चोरी रोकने और झील को सालभर जलयुक्त बनाए रखने के लिए सांसद स्तर से कोई ठोस प्रयास नजर नहीं आए।
स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि सांभर साल्ट की उत्पादन क्षमता बढ़ाकर 20 लाख टन की जाए, तो यहां लगभग 20 हजार लोगों को रोजगार मिल सकता है और कंपनी 200 करोड़ रुपये से अधिक का लाभ कमा सकती है, लेकिन इस दिशा में भी सांसद की सक्रियता दिखाई नहीं देती।
रेल सुविधाओं की उपेक्षा से बढ़ी नाराजगी
सांभर क्षेत्र में स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर सीमित हैं। निजी क्षेत्र में कार्यरत लोगों को निकटवर्ती व्यावसायिक केंद्रों तक पहुंच के लिए बेहतर रेल सुविधाओं की आवश्यकता है। लंबे समय से जयपुर–फुलेरा शटल (59629-30) का सांभर तक विस्तार, जयपुर–जोधपुर हाईकोर्ट ट्रेन, मालानी एक्सप्रेस (20489-90), बाड़मेर–शकूरबस्ती एक्सप्रेस (14661-62) तथा जोधपुर–हावड़ा ट्रेन के सांभर में ठहराव की मांग लंबित है।
कब सुध लेंगे सांसद, यही सवाल
क्षेत्रवासियों के बीच यह सवाल लगातार उठ रहा है कि सांसद राव राजेन्द्र सिंह कब सांभर और आसपास के इलाकों की सुध लेंगे। जनता को आज भी इंतजार है कि वे अपने शेष कार्यकाल में विकास और रोजगार के मुद्दों पर ठोस पहल कर क्षेत्र की तस्वीर बदलें।
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