जब पहली बार सुलगती धरती पर गिरी थी बारिश की बूंद: 420 करोड़ साल पुरानी घटना, जो 20 लाख साल तक चलती रही

नई दिल्ली। आज जब देश के ज़्यादातर हिस्सों में मानसून दस्तक दे चुका है और धरती फुहारों से भीग रही है, ऐसे में यह जानना रोचक होगा कि हमारी धरती पर पहली बार बारिश कब हुई थी? वैज्ञानिकों के अनुसार, पृथ्वी पर यह ऐतिहासिक बारिश करीब **420 करोड़ साल पहले** हुई थी और यह **लगातार 20 लाख वर्षों तकचलती रही।
उस समय पृथ्वी आज जैसी नहीं थी। यह एक सुलगता हुआ गोला थी, जहां एक ओर भयानक ज्वालामुखी फट रहे थे और दूसरी ओर आसमान से उल्कापिंड गिर रहे थे। तब पानी केवल गैस के रूप में मौजूद था। जैसे-जैसे पृथ्वी ठंडी होने लगी, गैसें सतह से बाहर निकलकर वायुमंडल में बादलों का रूप लेने लगीं। इन घने बादलों से फिर एक रात धरती पर **पहली बारिश की बूंद** गिरी।
यह बारिश सामान्य नहीं थी, बल्कि **एसिड रेन** थी। यह इतनी ज़्यादा और लंबे समय तक हुई कि इसने महासागर बना दिया और पृथ्वी पूरी तरह जलमग्न हो गई। यही वह महासागर था जिसमें जीवन की शुरुआत मानी जाती है। फिर लाखों साल बाद सूरज की किरणें पानी में पड़ीं और सूक्ष्म जीव विकसित होने लगे। मृत ग्रह से जीवन वाले ग्रह तक का यह सफर पहली बारिश के कारण ही संभव हुआ।
इस पहली बारिश की जानकारी वैज्ञानिकों को तब मिली, जब 1970-80 के दशक में **जियो साइंटिस्ट श्लेगर और शोलनबर्गन** ने ऑस्ट्रिया की **नॉर्थ आल्प्स** की चूना पत्थर चट्टानों का अध्ययन किया। उन्होंने इनमें **23.4 करोड़ वर्ष पुरानी** एक विशेष परत खोजी जो सामान्य जलवायु परिस्थितियों से मेल नहीं खा रही थी। यह चट्टानें पैंजिया महाद्वीप की गर्म और शुष्क जलवायु में बनी थीं, लेकिन इनमें पानी के लंबे समय तक बहाव के निशान मौजूद थे।
इस अध्ययन से यह साबित हुआ कि पृथ्वी पर कभी इतनी **अविरल वर्षा** हुई थी कि उससे जीवन की नींव रखी गई। यही वो किस्सा है, जब धरती ने पहली बार पानी को महसूस किया और उसने जीवन को जन्म दिया।