धनखड़ का इस्तीफा: दो विकल्प और सियासी रहस्य
21 जुलाई को संसद के मानसून सत्र के पहले ही दिन राज्यसभा सभापति जगदीप धनखड़ ने दिनभर कार्यवाही चलाई। लेकिन रात होते-होते उनके अचानक उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफे की खबर आ गई। आधिकारिक तौर पर कारण खराब सेहत बताया गया, पर राजनीतिक गलियारों में अलग-अलग थ्योरीज़ चलने लगीं।
करीबियों का कहना है कि इस्तीफा धनखड़ की मर्ज़ी से नहीं था, बल्कि उन्हें दो विकल्प दिए गए थे—या तो स्वेच्छा से पद छोड़ें या फिर नो-कॉन्फिडेंस मोशन का सामना करें। सूत्रों के मुताबिक, उन्हें खुद भी एक दिन पहले तक इस फैसले की भनक नहीं थी। इस्तीफे से ठीक पहले उन्होंने 40 किलो जलेबी मंगवाई थी और अगले दिन अचानक त्यागपत्र दे दिया।
अब तक 48 दिन गुजर चुके हैं और धनखड़ ने चुप्पी साध रखी है। उनके नज़दीकी बताते हैं कि 9 सितंबर से पहले वह कुछ नहीं कहेंगे। उसी दिन नए उपराष्ट्रपति का चुनाव होना है, जिसमें एनडीए ने महाराष्ट्र के राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन को मैदान में उतारा है, जबकि विपक्ष की ओर से सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश बी. सुदर्शन रेड्डी उम्मीदवार हैं। धनखड़ का अगला कदम और उनके इस्तीफे की असली वजह इसी तारीख के बाद स्पष्ट होने की उम्मीद है।