"जस्टिस बी.आर. गवई बने देश के 52वें मुख्य न्यायाधीश: राष्ट्रपति ने दिलाई शपथ, पहले बौद्ध और दूसरे दलित CJI"

भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई ने आज शपथ ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें इस सर्वोच्च संवैधानिक पद की शपथ दिलाई। इससे पहले CJI संजीव खन्ना का कार्यकाल 13 मई 2025 को समाप्त हो गया था।
वरिष्ठता के आधार पर जस्टिस गवई का नाम अगला था, जिसे CJI खन्ना ने राष्ट्रपति को प्रस्तावित किया था। अब जस्टिस गवई सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश के रूप में अगले सात महीनों तक कार्यभार संभालेंगे, क्योंकि वे 23 नवंबर 2025 को सेवानिवृत्त होंगे।
जस्टिस गवई देश के दूसरे दलित और पहले बौद्ध मुख्य न्यायाधीश बने हैं। इससे पहले 1990 में जस्टिस के.जी. बालकृष्णन पहले दलित CJI बने थे। गवई की यह नियुक्ति सामाजिक प्रतिनिधित्व के दृष्टिकोण से भी ऐतिहासिक मानी जा रही है।
सुप्रीम कोर्ट की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, जस्टिस गवई 24 मई 2019 को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश नियुक्त हुए थे। इससे पहले वे बॉम्बे हाईकोर्ट में भी सेवाएं दे चुके हैं। उनका कार्यकाल भले ही छोटा हो, लेकिन न्यायिक जगत में उनकी छवि एक निष्पक्ष और विद्वान जज के रूप में रही है।
नए CJI के सामने न्यायिक प्रक्रिया में पारदर्शिता, पेंडिंग मामलों की सुनवाई में तेजी और न्यायिक सुधार जैसे अहम मुद्दे होंगे। देश की न्यायपालिका को अब जस्टिस गवई के नेतृत्व से नई दिशा मिलने की उम्मीद है।