टॉयलेट की सुविधा नहीं, बोतल में पेशाब को मजबूर लोको पायलट: महिला ड्राइवरों ने कहा- पीरियड्स में 8-10 घंटे ड्यूटी, कैसे करें मैनेज? रेलवे ने ब्रेक की मांग ठुकराई

रेलवे की ट्रेनों में सफर कराने वाले लोको पायलट खुद सुविधाओं से वंचित हैं। ट्रेन इंजन में टॉयलेट न होने से उन्हें घंटों तक पेशाब रोकना पड़ता है। लखनऊ डिवीजन के लोको पायलट संतोष सिंह ने बताया कि कई बार लगातार 3-4 घंटे ट्रेन चलती है और टॉयलेट की सुविधा नहीं होती। पुरुष पायलट किसी तरह बोतल या पॉलिथीन में पेशाब कर लेते हैं, लेकिन महिला कर्मचारियों के लिए यह बेहद कठिन स्थिति है।
रांची डिवीजन की सीनियर असिस्टेंट लोको पायलट अंजलि ने बताया कि पीरियड्स के दौरान स्थिति और भी खराब हो जाती है। इंजन में वॉशरूम न होने से सैनिटरी नैपकिन तक चेंज नहीं कर पाते। कई बार मजबूरी में इंजन के भीतर ही ये सब करना पड़ता है, जो शारीरिक और मानसिक तौर पर बेहद थकाने वाला होता है।
लोको पायलटों ने लंबे समय से ड्यूटी के दौरान "टॉयलेट ब्रेक" की मांग की है, लेकिन रेलवे ने इसे नजरअंदाज कर दिया है। महिला स्टाफ का कहना है कि उन्हें 8-8 घंटे बिना किसी वॉशरूम सुविधा के ड्यूटी करनी पड़ती है। यह मामला कर्मचारियों के सम्मान, स्वास्थ्य और कार्यस्थल पर मानवीय सुविधाओं से जुड़ा है, जिसे रेलवे को गंभीरता से लेने की ज़रूरत है।