प्रशासन की लापरवाही: जमवारामगढ़ में ड्रोन प्रोजेक्ट बना तमाशा, ग्रामीणों की जान पर संकट

जयपुर। रामगढ़ बांध पर कृत्रिम बारिश करवाने के लिए चलाया जा रहा ड्रोन प्रोजेक्ट प्रशासन की लापरवाही के कारण लगातार विवादों में घिरता जा रहा है। रविवार को एक बार फिर ट्रायल के दौरान बड़ा हादसा होते-होते बचा। उड़ान भरने के कुछ ही मिनटों बाद ड्रोन अचानक नियंत्रण से बाहर हो गया और करीब तीन किलोमीटर दूर गोपालगढ़ गांव के खेतों में जा गिरा। खेतों में काम कर रही महिलाएं और ग्रामीण डर के मारे भाग खड़े हुए। गनीमत रही कि कोई जनहानि नहीं हुई।
यह देश का पहला ड्रोन आधारित क्लाउड सीडिंग प्रोजेक्ट है, जिसे कृषि विभाग और कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा के सहयोग से शुरू किया गया था। करोड़ों रुपए की लागत से चल रहा यह प्रोजेक्ट बार-बार तकनीकी खामियों के चलते असफल हो रहा है।
ग्रामीणों में दहशत, प्रशासन पर सवाल
ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन बिना किसी सुरक्षा घेरा बनाए और पूर्व सूचना दिए ऐसे प्रयोग कर रहा है जिससे उनकी जान पर संकट मंडरा रहा है। हादसे की आशंका के बावजूद बार-बार असफल ट्रायल करना गंभीर लापरवाही है।
बार-बार तकनीकी खामी सामने आने के बावजूद ग्रामीणों की जान जोखिम में डालकर उड़ान क्यों करवाई जा रही है?
सुरक्षा के लिए कोई अलर्ट या घेरा क्यों नहीं बनाया गया?
करोड़ों खर्च के बाद भी अगर नतीजे नहीं मिल रहे तो क्या यह केवल संसाधनों की बर्बादी नहीं है?
ग्रामीणों का स्पष्ट आरोप है कि प्रशासन की हड़बड़ी और गैरजिम्मेदारी इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट को मजाक बना रही है।
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