कैंसर से जंग: अब्यूसिव रिश्ते से निकली महिला बोली– “अभी तो जीना शुरू किया था”

रांची की 46 वर्षीय महिला की जिंदगी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं। सात साल पहले उन्होंने अब्यूसिव पति से तलाक लेकर नई शुरुआत की। पति से अलग होने के बाद अपनी बचत और पिता की मदद से उन्होंने एक छोटा-सा रेस्त्रां खोला, जो अब सफल बिजनेस बन चुका है। सबकुछ पटरी पर आने लगा था कि डेढ़ साल पहले उनकी जिंदगी को ब्रेस्ट कैंसर की तीसरे स्टेज की खबर ने झकझोर दिया।
महिला बताती हैं– “सालों तक अपमान और हिंसा सहने के बाद जब लगा कि अब जिंदगी में सुकून है, तभी कैंसर ने मुझे दबोच लिया। मेरी 17 साल की बेटी है, उस पर ढेरों जिम्मेदारियां हैं। मैं इतनी जल्दी मरना नहीं चाहती। लेकिन बीमारी ने मुझे मानसिक रूप से तोड़ दिया है। हर वक्त मन में मरने का ख्याल आता है।”
डॉक्टर लगातार उम्मीद बंधा रहे हैं कि इलाज से स्थिति सुधर सकती है। फिर भी डर और निराशा उन्हें घेर लेती है। महिला कहती हैं– “मुझे समझ नहीं आता कि कैसे पॉजिटिव रहूं। अब तक किसी भी मुश्किल ने मुझे इतना हताश नहीं किया, जितना इस बीमारी ने कर दिया है।”
उनकी कहानी इस बात की गवाही है कि कैंसर सिर्फ शरीर को नहीं, बल्कि मानसिक ताकत को भी चुनौती देता है। ऐसे में सपोर्ट सिस्टम, हौसला और आत्मविश्वास ही सबसे बड़ा इलाज साबित होते हैं।