शेख हसीना से लेकर अशरफ गनी तक: तख्तापलट और विद्रोह में देश छोड़ने वाले नेताओं की कहानी

5 अगस्त 2024 को बांग्लादेश में जब प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ बड़े पैमाने पर प्रदर्शन शुरू हुए, तब हालात इतने बेकाबू हो गए कि उन्हें महज 45 मिनट के अंदर देश छोड़ने की सलाह दी गई। ढाका में भीड़ उनके सरकारी आवास ‘गणभवन’ की ओर बढ़ रही थी और सुरक्षाबलों की कोशिशें नाकाम हो रही थीं। इसके बाद शेख हसीना भारत के हिंडन एयरबेस पहुंचीं, जहां उन्हें जरूरी सामान तक खरीदना पड़ा। आज उन्हें भारत आए एक साल पूरा हो गया है, और वे यहां गुमनाम जीवन जी रही हैं।
शेख हसीना अकेली नहीं हैं जिन्हें तख्तापलट के कारण देश छोड़ना पड़ा। इस सदी में कई विश्व नेताओं को भीड़ के गुस्से, राजनीतिक अस्थिरता या मौत की धमकी के कारण निर्वासन में जाना पड़ा।
अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी भी ऐसे ही एक उदाहरण हैं। अगस्त 2021 में तालिबान के काबुल पहुंचते ही उन्होंने हेलिकॉप्टर से भागकर UAE में शरण ली। उन पर यह भी आरोप लगा कि वे 169 मिलियन डॉलर साथ लेकर भागे, हालांकि उन्होंने इससे इनकार किया। फिलहाल वे सोशल मीडिया और निजी बैठकों के ज़रिए फिर से सक्रिय होने की कोशिश में हैं।
ऐसे नेताओं की कहानियाँ बताती हैं कि सत्ता में रहना जितना चुनौतीपूर्ण है, उतना ही अनिश्चित भी। पल भर में हालात ऐसे बन जाते हैं कि देश छोड़कर भागना ही आखिरी विकल्प रह जाता है।