आयुर्वेदिक औषधि मानकीकरण पर जोर: राज्यपाल ने शोध और वैश्विक प्रसार पर दिए सुझाव

जयपुर, 5 दिसंबर। राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने आयुर्वेद के भारतीय ज्ञान को युगानुकूल बनाते हुए वैश्विक स्तर पर इसके प्रसार की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने आयुर्वेदिक औषधियों के शोध, पेटेंट, प्रमाणीकरण, और असाध्य रोगों में उनके उपयोग के परीक्षण को प्राथमिकता देने का आह्वान किया।
अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में विशेषज्ञों का मंथन
राज्यपाल गुरुवार को जोधपुर में राष्ट्रीय आयुर्वेद विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित 'आयुर्वेदिक औषधि मानकीकरण-चुनौतियां और समाधान' विषयक अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि औषधियों की ब्रांडिंग और पैकेजिंग को उपयोगकर्ताओं के लिए आकर्षक बनाया जाए और उनके विपणन के लिए प्रभावी नीतियां अपनाई जाएं।
प्राचीन ज्ञान और आधुनिक अनुसंधान का समन्वय
बागडे ने आत्रेय, चरक, और सुश्रुत जैसे विद्वानों के आयुर्वेदिक ज्ञान का उल्लेख करते हुए इसे संरक्षित और प्रसारित करने पर बल दिया। उन्होंने दुर्लभ जड़ी-बूटियों और पारंपरिक औषधियों के पेटेंट कराने की आवश्यकता को रेखांकित किया। नालंदा विश्वविद्यालय के ऐतिहासिक महत्व का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय ज्ञान-विज्ञान को मिटाना असंभव है और इसे संरक्षित करने के प्रयास जारी रखने चाहिए।
आयुर्वेद के वैश्विक प्रसार की अपार संभावनाएं
राज्यपाल ने आयुर्वेदाचार्यों से आग्रह किया कि वे आयुर्वेद के स्वास्थ्यवर्धक गुणों का व्यापक प्रचार-प्रसार करें और इसे आधुनिक अनुसंधान से जोड़ें। इससे आयुर्वेद नई चिकित्सा चुनौतियों का समाधान बन सकता है। उन्होंने कहा कि आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति को वैश्विक स्तर पर स्थापित करने की अपार संभावनाएं हैं।
नए भवन का लोकार्पण और नई पहल
इस अवसर पर राज्यपाल ने राष्ट्रीय आयुर्वेद विश्वविद्यालय के अंतर्गत होम्योपैथी महाविद्यालय के नए भवन का लोकार्पण किया। संगोष्ठी में देश-विदेश के विशेषज्ञों और आयुर्वेदाचार्यों ने विचार साझा किए, जिससे आयुर्वेदिक चिकित्सा को नई ऊंचाइयों पर ले जाने की दिशा में नए आयाम तय किए जा सकें।