दार्जिलिंग की चाहत से सिक्किम बना भारत का हिस्सा: इंदिरा गांधी ने RAW से पूछा- कुछ हो सकता है? और 1975 में खत्म हुआ 300 साल पुराना राजवंश
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सिक्किम राज्य स्थापना की 50वीं वर्षगांठ पर राजधानी गंगटोक जाना था, लेकिन खराब मौसम के चलते उनका दौरा रद्द हो गया। उन्होंने वर्चुअल माध्यम से जनता को संबोधित किया। इस मौके पर देश ने उस ऐतिहासिक घटनाक्रम को भी याद किया, जब 1975 में सिक्किम भारत का 22वां राज्य बना।
आजादी के 28 साल बाद तक सिक्किम भारत का हिस्सा नहीं था, बल्कि एक प्रोटेक्टर स्टेट था। वहां नामग्याल राजवंश का शासन था और भारत सिर्फ विदेश नीति और रक्षा से जुड़े मामलों में हस्तक्षेप करता था।
1970 के दशक की शुरुआत में सिक्किम के राजा की अमेरिकी पत्नी होप कुक ने भारत से दार्जिलिंग लेने की इच्छा जताई। यह इशारा इंदिरा गांधी के लिए खतरे की घंटी था। उन्होंने तत्कालीन RAW प्रमुख से पूछा – "कुछ हो सकता है?" इसके बाद धीरे-धीरे राजनीतिक समीकरण ऐसे बने कि 16 मई 1975 को सिक्किम भारत का हिस्सा बन गया।
इससे पहले सिक्किम एक स्वतंत्र बौद्ध राजतंत्र था, जिसकी स्थापना 1642 में हुई थी। पहले राजा फुंटसोग नामग्याल थे, जिन्हें 'चोग्याल' कहा जाता था, यानी धर्म से शासन करने वाला राजा।
ब्रिटिश शासन के दौरान सिक्किम ने नेपाल की गोरखा सेनाओं से बचाव के लिए अंग्रेजों से मदद मांगी थी। 1817 में हुई तितालिया संधि के तहत सिक्किम को अंग्रेजों से सुरक्षा मिली और बदले में व्यापारिक अधिकार चले गए।
300 वर्षों की स्वतंत्रता और राजशाही के बाद सिक्किम का भारत में विलय एक रणनीतिक और ऐतिहासिक निर्णय साबित हुआ।