हनीमून मर्डर केस में न चश्मदीद, न सीसीटीवी: डीएनए, कॉल रिकॉर्ड और GPS ट्रैकर के सहारे सोनम-राज को मिलेगी सजा?

मेघालय के चर्चित हनीमून मर्डर केस में इंदौर निवासी राजा रघुवंशी की हत्या को लेकर पुलिस जांच अपने अंतिम चरण में पहुंच चुकी है। इस मामले में मुख्य आरोपी सोनम और उसके प्रेमी राज समेत तीन अन्य—विशाल चौहान, आकाश राजपूत और आनंद कुर्मी—को गिरफ्तार कर पूछताछ पूरी कर ली गई है। अब सवाल यह है कि जब मौके पर कोई प्रत्यक्षदर्शी नहीं है और न ही घटना का कोई सीसीटीवी फुटेज मिला है, तब पुलिस किस आधार पर आरोपियों को सजा दिला पाएगी?
पुलिस ने हत्या के घटनाक्रम का रिक्रिएशन कराया है, जिसमें सभी आरोपियों ने कबूल किया कि किस तरह राजा की हत्या को अंजाम दिया गया। रिक्रिएशन की पूरी वीडियोग्राफी की गई है, ताकि कोर्ट में इसे साक्ष्य के तौर पर प्रस्तुत किया जा सके।
इसके अलावा पुलिस के पास कुछ अहम तकनीकी सबूत हैं जो केस की नींव मजबूत कर सकते हैं—
डीएनए रिपोर्ट शव और घटनास्थल से मिले खून व अन्य जैविक सैंपल्स की फॉरेंसिक जांच से मेल खाता डीएनए आरोपियों को फंसाने का सबसे अहम हथियार होगा।
कॉल डिटेल रिकॉर्ड (CDR): हत्या के पहले और बाद में सोनम, राज और उनके साथियों के बीच हुई बातचीत की डिटेल्स, उनकी योजना और आपसी संपर्क को उजागर कर सकती है।
GPS लोकेशन ट्रैकर: जिस वाहन से आरोपी मेघालय पहुंचे और घटनास्थल तक गए, उसमें लगे GPS से यह साबित किया जा सकता है कि सभी आरोपी घटनास्थल के समय पर मौजूद थे।
मर्डर वेपन: हत्या में इस्तेमाल धारदार हथियार को भी बरामद किया जा चुका है, जिस पर खून और फिंगरप्रिंट्स जैसे अहम सबूत मौजूद हैं।
इसके बावजूद मेघालय पुलिस की एक टीम अभी भी इंदौर में डटी हुई है। सूत्रों के मुताबिक, पुलिस अब सोनम और राज के संबंधों की गहराई, हत्या की पूर्व योजना, और परिवार व दोस्तों के बयानों को रिकॉर्ड कर रही है ताकि पूरे घटनाक्रम को एक स्पष्ट कहानी के रूप में कोर्ट में रखा जा सके।
माना जा रहा है कि डिजिटल और फॉरेंसिक सबूतों के बल पर पुलिस के पास केस को मजबूत बनाने की पूरी तैयारी है। हालांकि, इस केस में नज़रें अब कोर्ट की कार्यवाही पर टिकी हैं, जो तय करेगी कि क्या ये सबूत सजा दिलाने के लिए पर्याप्त हैं।