दिव्यांग बुजुर्ग व्यक्ति को 35 साल बाद भूमि विवाद मामले में मिला न्याय, बुजुर्ग बोला सत्य की जीत हुई हैं, भूमाफियाओं की हुई  है हार, दिव्यांग बुजुर्ग ने पतासे खिलाकर जताई खुशी

Mar 17, 2023 - 16:05
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दिव्यांग बुजुर्ग व्यक्ति को 35 साल बाद भूमि विवाद मामले में मिला न्याय, बुजुर्ग बोला सत्य की जीत हुई हैं, भूमाफियाओं की हुई  है हार, दिव्यांग बुजुर्ग ने पतासे खिलाकर जताई खुशी


सरदारशहर। कहते हैं कि भारत देश में न्यायालय सर्वोपरि है, न्यायालय का नाम न्यायालय इसलिए रखा गया क्योंकि वहां पर ना कोई छोटा होता है ना कोई बड़ा, ना कोई अमीर होता है और ना ही कोई गरीब, वहां सिर्फ न्याय होता है। जी हां सरदारशहर के वार्ड 19 निवासी दिव्यांग बुजुर्ग व्यक्ति संपतराम मीणा को 35 साल बाद न्याय मिला है और 35 साल बाद न्याय मिलने की खुशी में गरीब दिव्यांग बुजुर्ग ने शुक्रवार को सभी को पतासे खिलाकर खुशी का इजहार किया है। न्याय पाकर बुज़ुर्ग की आंखें नम हो गई। दरअसल रतनगढ़ रोड मेगा हाईवे पर स्थित उपखंड कार्यालय और पेट्रोल पंप के बीच स्थित साढ़े 9 बीघा भूमि खसरा नंबर पुराना 291 और नया 567  को 22 जुलाई 1988 को स्वर्गीय खींवाराम मीणा ने सोहनलाल मीणा से खरीदी थी। बेशकीमती जमीन होने के कारण कुछ भूमाफियाओं की निगाहें उक्त कीमती जमीन पर पड़ी और भूमाफियाओं ने कुछ महीने बाद 12 सितंबर 1988 को विक्रेता सोहनलाल मीणा के साथ छल कपट कर वापस न्यायालय में दावा करवा दिया कि यह भूमि उसकी है। जिसके बाद न्यायालय द्वारा 1988 में उक्त भूमि को लेकर दोनों पक्षों को स्टे दे दिया गया। उसके बाद भू माफिया बजरंगलाल मीणा ने विक्रेता सोहनलाल मीणा नाम से एक फर्जी परित्याग न्यायालय द्वारा दिए गए स्टे के दौरान ही तैयार करवा लिया। मामले में हैरान कर देने वाली बात यह थी कि फर्जी परित्याग तैयार करवाने वाले बजरंगलाल मीणा ने ही 1988 में एक शपथ पत्र न्यायालय पेश किया गया और उसमें यह बताया गया कि उक्त जमीन खींवाराम मीणा की है। उसके बाद उस दावे की फाईल को गायब कर फाइल को रिकॉर्ड रूम में जमा करवा दिया। कुछ समय पश्चात भूमि को खरीदने वाले खींवाराम मीणा की मृत्यु हो गई और उक्त मामले में खींवाराम का पुत्र संपतराम मीणा मामले में परिवादी बन गया। उसके बाद परिवादी संपतराम मीणा लगातार न्यायालय के चक्कर लगाता रहा और न्यायालय से गुहार लगाता रहा। लेकिन परिवादी संपतराम की फाइल गुम होने के कारण मामले में कोई सुनवाई नहीं हुई। अगस्त 2018 में तत्कालीन एसडीएम मूलचंद लूणियां के समक्ष जब परिवादी संपतराम मीणा पेश हुए तो उन्होंने इस मामले में गंभीरता से संज्ञान लिया और गुम हुई फाइल को ढूंढने के आदेश दिए। जिसके बाद उक्त फाइल चूरु रिकॉर्ड रूम में प्राप्त हुई और वहां से एसडीएम मूलचंद लूणियां के पास पेश की गई। फाइल पुनः प्राप्त होने पर एक बार भू माफिया पुनः सक्रिय हो गए और मामले में विवाद की स्थिति को देखते हुए एसडीएम मूलचंद लूणियां ने उक्त भूमि को कुर्क कर दिया। 15 मार्च को आखिरकार संपतराम मीणा के घर खुशियां लौटी और वर्तमान एसडीएम बृजेंद्रसिंह ने 15 मार्च को मामले में गंभीरता से सुनवाई करते हुए दूसरे पक्ष के परिवादी, भोमराज व नवरत्न उर्फ विनोद पुत्र बजरंगलाल मीणा वगैरा को गलत मानते हुए पीड़ित संपतराम मीणा के पक्ष में फैसला सुनाया। संपतराम मीणा ने बताया कि अब जाकर उन्हें न्याय मिला है। उन्होंने अपना अधिकतर जीवन न्यायालय के चक्कर काटने में लगा दिया। संपतराम मीणा के पुत्र राकेश मीणा ने बताया कि मेरे पिता की आधी जिंदगी न्यायालय के चक्कर काटने में गुजर गई। इस दौरान उन्हें कई गंभीर बीमारियों ने भी घेर लिया। लेकिन अब न्यायालय ने उनके पक्ष में फैसला दिया है और उनकी जीत हुई है। इसलिए उनका पूरा परिवार खुश है। शुक्रवार को संपतराम मीणा ने सभी को पतासे खिलाकर खुशी का इजहार किया। देर से ही सही लेकिन न्याय पाकर संपतराम मीणा की खुशी का ठिकाना नहीं है।

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