श्री महालक्ष्मी यज्ञ में डाली सवा तीन लाख आहुतियां

श्री महालक्ष्मी यज्ञ में डाली सवा तीन लाख आहुतियां

यज्ञ परिक्रमा के लिए उमड़े श्रद्धालु

श्रीमाधोपुर 

शहर के बावड़ी आश्रम में हुई मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा  श्रीमाधोपुर के श्री सीताराम बाबा बावड़ी आश्रम पर चल रहे 17 कुंडीय श्री महालक्ष्मी यज्ञ के पांचवें दिन यज्ञ के धुएं, समाधि एवं घृत की आहुति से बिखरी खुशबू ने मैदान को धर्म और अध्यात्म की सुगंध से सराबोर कर दिया। सोमवार को बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने यज्ञ मंडप की परिक्रमा कर पुण्य अर्जित किया। इस दौरान यज्ञाचार्य गणेशदास महाराज अयोध्या के आचार्य में चल रहे महालक्ष्मी यज्ञ में अब तक सवा 3 लाख आहुतियां दी गई।

सुबह सवा 11 बजे से आश्रम परिसर में नवनिर्मित मंदिर में भगवान श्रीगणेश, रामराजा और श्री लक्ष्मी जी की मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा काशी पीठाधीश्वर जगद्गुरू रामानंदाचार्य महाराज एवं बावड़ी आश्रम के महंत महामंडलेश्वर ओमकारदास महाराज के सानिध्य तथा पं. मुकेश मिश्रा व पं. राकेश लोकनाथका के आचार्य में यजमान महावीर प्रसाद यादव जयपुर द्वारा करवाई गई। वहीं मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा को लेकर हवन में यजमानों ने आहुतियां दी।


यज्ञ में आहुतियां देने से सभी दोष का होता है नाश

इस मौके पर काशी पीठाधीश्वर जगद्गुरू रामानंदाचार्य महाराज ने श्रद्धालुओं को हवन यज्ञ के महत्व के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि मानव को अपने काम, क्रोध, अंहकार, मोह, लोभ को स्वाहा करते हुए हवन यज्ञ में आहुति देनी चाहिए। स्वाहा कहने का विशेष महत्व हैं, यज्ञ में आहुति देने से पापों का नाश होता है और सभी दोष नष्ट हो जाते है। यज्ञ में आहुति देते हुए मंत्रों का जाप किया जाता हैं, शास्त्रों में बताया गया है कि सभी देवी देवता मंत्रों के अधीन होते हैं। यज्ञ में उन्हीं का आह्वान और पूजन किया जाता है। इसलिए सभी को यज्ञ में हिस्सा लेकर यज्ञ नारायण का आशीर्वाद लेना चाहिए।

ये संत रहे मौजूद

इस मौके पर सनकादिक आश्रम चित्रकूट के पीठाधीश्वर सुखरामदास ब्रह्मचारी महाराज, महामंडलेश्वर ईश्वरदास महाराज ऋषिकेश, राममोहनदास महाराज हिमाचल, बालकिशनदास महाराज बालयोगी पुष्कर, महामंडलेश्वर जोईराम सोईराम पुष्कर, दीनबंधुदास महाराज दिल्ली, गौरी शंकर दास महाराज हनुमानगढ़ी अयोध्या, परसराम दास खाक चौक अयोध्या, श्याम दास महाराज उज्जैन, भगवान दास महाराज कुरुक्षेत्र, रामप्रियदास टोंक, महंत सूरतदास जयपुर बस्सी, सत्यनारायणदास महाराज जयपुर बस्सी के अलावा आश्रम के कार्यकर्ता व काफी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे।