पहली बार होगा मालाखेड़ा उत्सव, 252 साल पुरानी विरासत होगी उजागर

मालाखेड़ा। ऐतिहासिक धरोहरों और स्थापत्य कला के बेजोड़ नमूनों को आमजन तक पहुंचाने के उद्देश्य से पहली बार मालाखेड़ा उत्सव का आयोजन 30 नवंबर को किया जा रहा है। इस उत्सव की तैयारियां जोरों पर हैं। नगर पालिका अधिशासी अधिकारी मेघा मीणा के नेतृत्व में स्थानीय जनप्रतिनिधि और गणमान्य लोग आयोजन को सफल बनाने में जुटे हैं।
राव राजा प्रताप सिंह की विरासत का सम्मान:
मालाखेड़ा और टहला में 1772 में राव राजा प्रताप सिंह द्वारा बनाए गए किलों और 252 वर्ष पुराने अलवर गेट और राजगढ़ गेट जैसे स्थापत्य कला के नमूनों को प्रदर्शित करने के लिए यह उत्सव आयोजित किया जा रहा है। रियासत काल के दौरान उन्होंने अपने शौर्य और पराक्रम से मालाखेड़ा को सुरक्षित और समृद्ध बनाने का प्रयास किया था।
उत्सव में होंगे सांस्कृतिक और रचनात्मक कार्यक्रम:
उत्सव के दौरान लोक कलाकारों की प्रस्तुतियां, भजन संध्या, निबंध, चित्रकला और अन्य प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएंगी। इसके जरिए आमजन को मालाखेड़ा की ऐतिहासिक विरासत और पौराणिक कला से परिचित कराने का प्रयास होगा।
स्थानीय जनप्रतिनिधियों की सक्रिय भागीदारी:
नगर पालिका के साथ हितेंद्र प्रधान, पूर्व सरपंच सुषमा, सतीश चौधरी, सौरव शास्त्री और अन्य गणमान्य लोग आयोजन में सक्रिय रूप से भाग ले रहे हैं। उपखंड अधिकारी नवजोत कवरिया ने बताया कि यह उत्सव क्षेत्र के गौरवशाली इतिहास को जनता के समक्ष प्रस्तुत करने का महत्वपूर्ण प्रयास है।
मालाखेड़ा उत्सव से इस ऐतिहासिक क्षेत्र की प्राचीन धरोहरों को संरक्षित करने और नई पीढ़ी को उससे जोड़ने का लक्ष्य है।