कृषि विज्ञान केंद्र में समिति के व्यवस्थापको को दिया एक दिवसीय प्रशिक्षण, नैनो यूरिया के बारे में बताई फायदेमंद बातें, खासतौर से नैनो यूरिया डीएपी फसलों के लिए रामबाण

Aug 8, 2023 - 16:24
 0
कृषि विज्ञान केंद्र में समिति के व्यवस्थापको को दिया एक दिवसीय प्रशिक्षण, नैनो यूरिया के बारे में बताई फायदेमंद बातें, खासतौर से नैनो यूरिया डीएपी फसलों के लिए रामबाण

सरदारशहर। शहर के कृषि विज्ञान केंद्र के सभागार हॉल चूरू जिले की सहकारिता क्षेत्र की समितियों के व्यवस्थापको को प्रशिक्षण के दौरान नैनो टेक्नोलॉजी आधारित नैनो यूरिया (तरल) के बारे में प्रशिक्षण दिया गया। चूरु केंद्रीय सहकारी बैंक के प्रबंधक मदनलाल शर्मा की अध्यक्षता में केवीके के मुख्य अतिथि उप निदेशक डॉ अजीत सिंह ने प्रशिक्षण में संबोधित करते हुए कहा कि यूरिया की कमी के बीच किसानों के सामने एक नया विकल्प आ गया है। इफको ने नवाचार करते हुए नैनो तरल यूरिया उपलब्ध कराया है। यह फसलों के लिए बहुत ही फायदेमंद है। खासतौर से सेवज की फसलों के लिए रामबाण होगा। नए विकल्प से अब किसान को 40-50 किलो यूरिया की बोरी उठाने की भी जरूरत नहीं होगी। ग्राम सहकारी समितियों से किसान नैनो तरल यूरिया ले सकेंगे। जिले में सालाना करीब लाखों टन यूरिया खाद की खपत है। इफको के जिलाधिकारी डॉ सोहनलाल सारण ने बताया कि नैनो यूरिया नाइट्रोजन का स्रोत है जो पौधों में कार्बोहाइडे्रड प्रोटीन के निर्माण एवं पौधे की संरचना व वानस्पतिक वृद्धि के लिए उपयोगी है। सामान्यतया एक स्वस्थ पौधे में नाइट्रोजन की मात्रा 1.5 से 4 फीसदी तक होती है। छिटकवां विधि में यूरिया पौधों की जड़ पर पड़ती है। जबकि इसमें सीधे पत्तियों पर स्प्रे होगा। फसल विकास की प्रमुख अवस्थाओं में नैनो यूरिया का पत्तियों पर छिडक़ाव करने से नाइट्रोजन की आवश्यकता प्रभावी तरीके से पूरी होती है। यह अपने नैनो कणों (यूरिया के एक दाने का पनपन हजारवां भाग) के कारण अधिक प्रभावशाली एवं उपयोगी है। इसकी अवशोषण क्षमता 80 प्रतिशत से भी अधिक पाई गई है जो कि सामान्य यूरिया की तुलना में अधिक है। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान और राज्य कृषि विश्वविद्यालयों के 20 से अधिक रिसर्च सेंटरों में 94 फसलों पर ट्रायल किए गए। इससे फसलों की उपज में औसतन 8 प्रतिशत वृद्धि देखी गई है। कृषि विज्ञान केंद्र के डॉ वीके सैनी व संदीप ने तरल के उपयोग से पहले बोतल को अच्छी तरह हिलाएं। इस तरल का उपयोग दो बार किया जा सकता है। पहला छिडक़ाव फसल के अंकुरण के 30 दिन बाद और दूसरा छिडक़ाव पहली स्पे्र के 20 से 25 दिन बाद। यह यूरिया लिक्विड तरल को ठंडी और सूखे जगह पर रखना होगा। इफको अधिकारियों का कहना है कि 500 एमएल नैनो यूरिया लिक्विड 100 लीटर पानी में मिलाकर उपयोग करें। सागरिका किसान के बहुत ही लाभ दायक है। यह संघटक कुल घुलनशील पदार्थों में 28% समुद्री शैवाल का रस (लाल और भूरे रंग का शैवाल), प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, अकार्बनिक लवण, विटामिन, प्राकृतिक हार्मोंज, बिटेंज, मैनीटोल और अन्य पोषक तत्व पाए जाते हैं। इस मौके पर इफको एमसी  डॉ विनोद खेरवा, मुकेश ढाका, व्यवस्थापक मनीराम देग, मंजीत चौधरी, भादरराम सारण, कालुराम स्वामी, मनीराम देग, देवकरण, जयपाल सारण, सुरेंद्र डूडी, किशोर सारण, बाबू सिंह भाटी, सुभाष, राजा सारण, रामनिवास सारण आदि उपस्थित थे।

Jaipur Times जयपुर टाइम्स के साथ आप नवीनतम हिंदी समाचार प्राप्त कर सकते हैं। आप अपने विज्ञापन को राजस्थान में प्रकाशित कर सकते हैं।