टोंक जिले की भोगोलिक विरासत को बचाने के लिये कांग्रेस जागृत, भाजपा निंद मे। 

टोंक जिले की भोगोलिक विरासत को बचाने के लिये कांग्रेस जागृत, भाजपा निंद मे। 


(देवली को केकडी मे शामिल करने का विरोध)
देवली 27 जून , देवली शहर को नव सृजित  केकडी जिले मे मिलाने की संभानाओ के बीच वर्तमान स्थिति को बनाये रखने के लिये कांग्रेस के क्षेत्रिय नेताओ ने संघर्ष शुरू कर दिया है। जबकि राज्य मे कांग्रेस सरकार हे ओर नये जिले बनाने व उनके परिसिमन का निर्णय भी कांग्रेस सरकार का ही है बावजूद उसके देवली को अन्य जिले मे शामिल किये जाने का विरोध भी कांग्रेस के नेता कर रहे हे उनका प्रयास टोंक जिले व देवली को लेकर पुरानी एतिहासिक विरासत को बचाने के लिये हे।राष्ट्रीय विस्थापित संघर्ष समन्वय समिति के अध्यक्ष घीसालाल जांगीड ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को ज्ञापन भेज कर देवली के भोगोलिक इतिहास को नही बदलने की मांग रखी है।जांगीड ने ज्ञापन मे बताया की राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री हीरालाल शास्त्री टोंक जिले से ही थे,राज्य के दुसरे पूर्व मुख्य मंत्री बरकतुल्ला खां टोंक जिले की टोडारायसिंह तहसील के खरेडा ग्राम से ही थे। जिले के देवली मे अग्रेजो के समय  छावनी थी वही देवली रियासत होने के साथ यहा मिलेट्री ऐरिया रहा है । देवली शहर एक ऐसे केन्द्र बिन्दू पर स्थित हे जहा से चारो दिशाओ मेे स्थित राज्यो के बडे बडे शहरो से सीधा जुडाव हे। देवली तहसील का बीसलपुर बांध लगभग आधे राज्य की प्यास बुझा रहा हे। ऐसे दर्जनो एतिहासिक उदाहरण हे जो टोंक जिले के सभी शहरो व कस्बो को जोड कर अपनी पहचान रखता हे। जिले को विखंडन होने से बचाने के लिये देवली को अन्य नवसृजित जिले मे जोडने का विरोध क्षेत्रिय विधायक हरीश मीणा ने भी किया साथ ही टोंक को अजमेर संभाग के स्थान पर जयपुर संभाग मे शामिल करने की मांग मुख्य  मंत्री से की हे वही कांग्रेस के कुछ नेता भी देवली को केकडी मे शामिल करने का विरोध कर रहे हे , अगर निद्रावस्था मे हे तो देवली के भाजपा नेता जो करीब आधा दर्जन गुटो मे विभाजित हो रखे हे। देवली को केकडी मे शामिल करने के मुद्दे पर अभी तक स्थानीय भाजपा की भूमिका निष्क्रीय रही है । अपनी विपक्ष की भूमिका ही भूल चुकी भाजपा चुनाव मे क्षेत्रिय लोगो के लिये कोनसी स्थानीय समस्याये गिनायेगी जिन्हे लेकर उनके द्वारा आवाज उठाई गई हो।ऐसी स्थिति मे जो निर्णय होता हे उसे स्वीकार करने की मजबूरी ही होती है। बहरहाल देवली को लेकर अभी स्थिति स्पष्ट नही हो पा रही हे । देवली शहर केकडी का हिस्सा बनेगा या यथा स्थिति बनी रहेगी अथवा देवली को जिला घोषित कर दे सभी संभावनाओ से पर्दा हटना बाकी है।